
लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को इन बयानबाजी और खबरों से क्या लाभ मिलने वाला हैं। अपने सौ दिन की कार्यकारिणी में कोई बडा तीर ना मारने वाले प्रधानमंत्री सचमुच चिंता में है तो उन्हें सबसे पहले अपने 78 सदस्य वालें मंत्रिमंडल में कटौती करनी चाहिए। वैसे सरकार को ऐसे ट्वीटर मंत्रियों की जरूरत हीं क्या है जो आमजनता के बलबूते पर खडें होकर उन्हें हीं कुचलने में लगे हो। जिन्हें फाइव स्टार होटलों में रहने की आदत हो वे गरीबी के दर्द को क्या समझेंगे। मंत्रियों की भीड भरे मंत्रिमंडल से आम जनता को क्या फायदा पहुंचा जो अब पहुंचेगा। मंत्रियों की छटनी करने से सरकार की सचमुच में बचत होगी। कई हारे हुए नेताओं ने अपने घर तक खाली नहीं किए है वह सरकारी संपत्ति पर आजीवन हक समझते है। यदि सरकार सचमुच में आम लोगों के लिए कुछ करना चाहती है तो सादगी के नाटक को बंद कर गरीबों की समस्या पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। वैसे भी कुछ मंत्रियों के इकोनॉमी क्लास में सफर से कोई गरीबी दूर होने वाली नहीं है और मीडिया को भी इन दिखावटी नेताओं के पीछे - पीछे दौडने से बचना चाहिए। बडे ही शर्म की बात होगी हमारे देश के मंत्री इकोनॉमी क्लास में सफर करे और देश के बिजनस मेन बिजनस क्लास में सफर करें। इन बिजनेस मेन के पास जो अतिरिक्त पैसा आता है वह आम लोगों का हीं होता है वैसे सरकार को ये बिजनेस व इकोनॉमी क्लास का चक्कर ही खत्म कर देना चाहिए ताकि गरीबी अमीरी का खेल ही समाप्त हो जाए।
1 comment:
yahi bhartiy netao ka asli chehra hai ...
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